जनदर्पण
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किस मजहब में है,
मनाही,तस्लीम माँ को करना।
एक जननी, एक जन्मभूमि,
दो वालिदा है। हमारी,
तुम इनको याद रख्नना।
दोनों पर फर्ज हमारा,
है, दोनों का कर्ज हम पर।
हम हिन्दुस्तानी हैं पहले,
हो धर्म कुछ भी याद रखना।
मजहब के आँच पर,
सियासी रोटियाँ पकाते नेता ,
है तस्लीम माँ को करना,
तो दूर हो क्यों, कोई भी बेटा।
हमारी एकता के बल पर,
फक्र से, हिन्दुस्तान खड़ा है देखो।
एक बार धर्म, भाषा ,मजह्ब, से,
तुम ऊपर उठ करके जरा सा सोचो।
अशफाक ,विस्मिल,सुखदेव,भगतसिह, राजगुरु,की,
शहादत जाया न जाए, देखो।
जो वन्देमातरम कह के फाँसी,
चढ गए तुम उनको याद रखना।
किस मजहब में है,
मनाही,तस्लीम माँ को करना।
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