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पूर्वजों को समर्पित कविता

जनदर्पण
जनदर्पण
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श्रध्दा भरे भाव से
जो बिछुड़ गये हमसे
उन सबकी याद में
करें श्राध्द और फरियाद
करें तर्पण और अर्पण
तन –मन- धन से
हम भावों का समर्पण
जहां भी हों वे
त्रप्त हो उनकी आत्मा
आइये उन पूर्वजों के लिए
इस श्राध्द्पक्ष में
हम सब करें प्रार्थना
दान पुण्य के पर्व में
ईश्वर से करें याचना
आप मन में बसे आज भी
हम आपकी परछांई,
जड़ों से भला कोई दूर होता है,
हमतो तुम्हारी टहनी व शाखाएं,
दें आशीष हमें हरा-भरा होने का।
जिस धरा में जन्मे थे आप,
उसकी रक्षा,सहेजने संजोने का।

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