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उत्सवों का मौसम आ गया,तुम भी आ जाओ प्रिये।

जनदर्पण
जनदर्पण
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उत्सवों का मौसम आ गया,
तुम भी आ जाओ प्रिये।
प्रकति ने बदला है,रूप
सर्वत्र अनोखा है, अनूप
पशु पक्षियों में उल्लास है,
सब जगह हास-परिहास है।
भोर गुनगुनाने लगी,
रात जगमगाने लगी।
लगता है नभ जैसे धरा से आज मिलने आ गया।
उत्सवों का मौसम आ गया तुम भी आ जाओ प्रिये।

पित्रों के प्रति श्रध्दा का माह है,
हम कर्तव्यों का कर रहे निर्वाह हैं।
मन भावना के पुष्प ले,
तुम भी याद करना उन्हें
कहना आपकी परछांई हैं हम
आशीष दें आप हमें।
पित्र अमावस्या है, विदाई का वक्त आ गया।
उत्सवों का मौसम आ गया तुम भी आ जाओ प्रिये।

आ रहा नवरात्र है,
माँ की भक्ति करना साथ है।
दिशाएं भी करती प्रार्थना
भक्त कर रहे हैं याचना।
सदगुणों को अर्जित करें
दुर्गणों को विषर्जित करें
माँ ने भक्ति का फल दिया।
सत्य ने असत्य पर विजय पा लिया,और दशहरा आ गया।
उत्सवों का मौसम आ गया तुम भी आ जाओ प्रिये।

विजयी हो लौटे हैं, श्रीराम
हर्षित है मन की अयोध्या धाम,
भक्ति के घी में प्रेम की बाती,
प्रभु प्रेम की मिली सबको थाती,
प्रकाश जगमगाने लगा,तम मिटाने लगा,
मैं आता हूं कह,शरदॠतु द्दार खटखटा गया।
उत्सवों का मौसम आ गया तुम भी आ जाओ प्रिये।

त्योहारों का ए देश है,
यहां भिन्न-भिन्न परिवेश है।
फसलें लहलहातीं हैं यहाँ
खुशियां इठलातीं हैं सदा।
हिमालय प्रहरी बन खड़ा
हिन्दूस्तानी हैं हम दिल बड़ा।
माँ भारती के स्नेह में हर भारती बौरा गया।
उत्सवों का मौसम आ गया, तुम भी आ जाओ प्रिय्रे।
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