जनदर्पण
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ब्लाग के खेल में,
टिप्पणियों का मेल।
भावों के स्टेशन पर,
खड़ी रचनाओं की रेल।
लिखने के बिसरे शौक की,
फिर से की, शुरूआत।
शब्दो का सामान ले,
हो लिये ब्लाग मंच के साथ।
बड़े-बड़ों को बांधे यहां,
टिप्पणियों का मोह।
किसकी है विसात,.
जो इनसे करे विछोह।
विचारों के समुंद्र में,
शब्द मथे दिन-रात।
रचनाओं का आकार ले,
ले अन्तर्जाल का साथ।
छप जाते हैं ब्लाग पर,
विभिन्न द्र्ष्टीकोणों के साथ।
प्रतिक्रियाओं की होड़ में,
कौन देगा किसको मात्।
धीरे-धीरे खुल रहें,
इस ब्लागिगं के राज,
रचनाओं के सिर सजते है,
यहाँ उपहारों के ताज।
गूगल तो कह्ता है,
सब ब्लागर कमाएं धन,
लेकिन अभी न जाने हम।
पूछें आप विशेषज्ञों से,
मेरा यह अग्यानी मन।
हम पर भी करते रहें,
प्रतिक्रियाओं की वरसात,
मिल गया तो छूटे नही,
आप ब्लार्गस ग्यानियों का साथ।
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