जनदर्पण
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बजी रणभेरी
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें घड़ी-पहर
जनता होगी दाता अब
नेता याचक कर जोरे
क्रृपा करो जनस्वामी
शरणागत हम तेरे
विकास की गंगा बहा देगें
तरक्की होगी गांव औ शहर
बजी रणभेरी
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें घड़ी-पहर
अल्पसंख्यकों को आरक्षण
देगें निर्बल को संरक्षण
भूखे पेट को रोटी
बेरोजगारों को रोजी
सब बिधि जनकल्याण करेंगे
तुम हमें जितवा दो अगर
बजी रणभेरी
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें घड़ी-पहर
साम –दाम द्ण्ड भेद की
चौसर बिछ गयी है
अगड़े पिछ्ड़े के इस्तेमाल की
चलते चालें नयी-नयी
वादों के बम गोले दागते
बजी रणभेरी
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें गांव औ शहर
सियासी बातें घड़ी-पहर
छिड़ा चुनावी समर
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें घड़ी-पहर
नेता घूमें फिर डगर-डगर
बजी रणभेरी
छिड़ा चुनावी समर,
सियासी बातें घड़ी-पहर
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