जनदर्पण
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उठ जागो,
देशावासियों
उठ जागो,
पुकारता तुमको वतन
खो रहा अमनो चमन
क्रान्ती की ले मशाल
बिगड़ी स्थितियां सम्भाल
नक्सलवाद बढ़ रहा
पुर्वोत्तर धधक रहा
जाने किसकी खोट है
शहर शहर विस्फोट है
मानवता है लुट रही
दानवता बिहंस रही
कर्तव्य पथ बुला रहा
आज न अधिकार मांगो
उठ जागो—
-देशावासियों
उठ जागो
शहीदों को कर नमन
शत्रुओं का करो शमन
उखाड़ दो भ्रष्टत्नन्त्र को
शकुनियों के षड्यंत्र को
शान्ती में धीर तुम
सीमाओं के वीर तुम
वशुन्धरा की ले शपथ
चल पडो तुम राष्ट्पथ
जागरण की रात, होगी नवल प्रभात
करने को नवस्रृजन
राष्ट्र हित सर्वस्व त्यागो
उठ जागो—
-देशावासियों
उठ जागो
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