जनदर्पण
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गीत
दीप मलायें जगमग-जगमग
ये द्र्श्य नयनाभिराम,
चौक, रंगोली, आगंन द्धार,
हुये सुशोभित बन्दन्वार,
कर जोड़ सब करें आवाहन
भू पर आइये प्रथमेश,
गीतस्वागत गा्ये धरा
यह दीप पर्व विशेष,
‘’श्री’’ भी आज आयेगी
धरा पर छोड के विष्णूधाम,
ये द्र्श्य नयनाभिराम
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